मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर-लैपटॉप जैसे गैजेट का लगातार इस्तेमाल बच्चों और युवाओं भारी पड़ रहा है। इनकी आंखें समय से पहले बॉडी हो गई हैं। बार-बार स्क्रीन एक्स्पोज़र के चलते आंखें मायोपिया, हाइपर मेट्रोपिया की शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञ मुताबिक कोरोना कल से पहले यह आंकड़ा 13% था। अध्ययन में डॉक्टरों ने बीमा आंखों वाले 11 से 18 साल की उम्र वाले बच्चों और 18 से 40 साल तक के युवाओं को लिया।
यह है कारण
-पर सामने आया कि बच्चे ही नहीं, युवा की स्क्रीन एक्स्पोज़र मोबाइल लैपटॉप कंप्यूटर पर साथ से 13 घंटे तक पाया गया।
-सनलाइट एक्स्पोज़र यानी धूप की रोशनी लेने का समय 1 से 3 घंटे ही पाया गया, जबकि पहले यह काम से कम 6 से 7 घंटे रहता था।
यह होता है मियोपिया?
मियोपिया यानी निफ़्टी निकट दृष्ट (मायोपिया) रेटिना के सामने तुर्की वास्तु के करोड़ों में परिवर्तित करती है। जब रोटाना से टकराते हैं तो धुंधली छवि का निर्माण करते हुए विचलन करते रहते हैं। यदि माता-पिता में से एक यह दोनों को ही दिक्कत है तो आपको भी खतरा ज्यादा है।
बच्चों को गैजेट से दूर कैसे रखें
-फिजिकल एक्टिविटी के लिए कहें
-गार्डन के प्रति प्यार जगाए पालतू जानवरों की देखभाल करने को कहें
-किताबें पढ़ने के लिए कहें